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15 अगस्त पर निबंध – Essay on 15 august in Hindi language

Essay on 15 august

हर साल भारत की आजादी के उपलक्ष में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है जो पूरे देश में इस दिन बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। तो अगर आप स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे हैं या फिर उनके अभिभावक जिन्हें इस उपलक्ष पर निबंध की तलाश है तो इस पोस्ट में हम आपके लिए बेहतरीन 15 अगस्त पर निबंध (Essay on 15 august in Hindi language) लेकर आए हैं।

15 अगस्त 1947 का दिन वह दिन है जब भारत को अंग्रेजों के लंबे शासन से मुक्ति मिली थी। उसके बाद से हर साल 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा है। यह भारत के हर देशवासी के लिए काफी महत्वपूर्ण दिन है।

इस आर्टिकल को हमने स्कूल में पढ़ने वाले कक्षा 4, 5, 6, 7 के लिए तैयार किया है जो सभी के लिए उपयोगी साबित होगा। तो चलिए शुरू करते हैं और देखते हैं भारत की आजादी पर निबंध।

15 अगस्त पर निबंध

सभी स्कूलों के विभिन्न क्लास में पढ़ने वाले छात्रों को कंपटीशन या फिर अपने क्लास में गृह कार्य के रूप में 15 अगस्त पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है। जिसके लिए उन्हें अपनी कंपटीशन में लिखने के लिए अच्छे से अच्छे निबंध की तलाश होती है।

यहां आपको 15 अगस्त पर बेहतरीन निबंध लेकर आए हैं तो इसे पढ़ें और इसका इस्तेमाल करें।

निबंध 1

15 अगस्त 1947 का दिन भारत में सबसे अनोखी दिन के रूप में जाना जाता है। यह वह दिन है जब 200 साल से गुलाम रहा भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ।

यह आजादी बस यूं ही नहीं मिल गई बल्कि इसके लिए अंग्रेजो के खिलाफ कड़ा संघर्ष करना पड़ा। भारत के कई वीरो ने अपने प्राणों की आहुति दी। भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए जब जब जरूरत पड़ी तब तब अपने प्राणों को निछावर किया।

तब जाकर वह दिन आया जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और तब से हर साल 15 अगस्त के मौके पर पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश भर में सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी और प्राइवेट दफ्तर बंद रहते है। इस मौके पर भारत के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहरा कर भारतीयों की शान पूरे देशभर में प्रदर्शित करते हैं।

इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री पूरे देश को लाल किले से संबोधित करते हैं। साल भर के देश में किए जाने वाले कामों के बारे में बताते हैं। इसके अलावा वे देश के स्वतंत्रता सेनानियों कभी याद करते हैं।

प्रत्येक राज्य से वहां के संस्कृति एवं सभ्यता को प्रदर्शित करने वाली झांकियां भी निकाली जाती हैं। दिल्ली के लाल किले में इन सभी प्रदर्शनों को देखने के लिए काफी लोगों की भीड़ भी होती है।

देश के कोने कोने में स्कूल कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में भी तिरंगे को पढ़ाया जाता है एवं राष्ट्रगान भी गाए जाते हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं।

छात्र और छात्राओं के द्वारा नाटक किए जाते हैं एवं लोक नृत्य भी पेश किए जाते हैं। कार्यक्रम को देखने के लिए अभिभावक और लोगों की भीड़ लगी हुई होती है।

निबंध 2

भारत में कई राष्ट्रीय पर्व हैं जिनमें से एक स्वतंत्रता दिवस हर साल 15 अगस्त को मनाया जाता है। इसके अलावा गणतंत्र दिवस और गांधी जयंती राष्ट्रीय त्योहारों के रूप में जाने जाते हैं।

लेकिन स्वतंत्रता दिवस के बाद सबसे अनोखी इसीलिए है क्योंकि यह एक ऐसा दिन है जो भारत के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा हुआ है। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था और बहुत ही लंबे समय के बाद में अंग्रेजों से आजादी मिली थी।

भारत की आजादी में काफी लोगों का योगदान रहा और उन्हें हम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानते हैं। 1600 ईसवी में पहली बार अंग्रेज भारत में आए। उन्होंने शुरुआत में व्यापार के बहाने से भारत में अपने कदम रखें।

लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने पूरे भारत में अपने पांव पसारने शुरू कर दिए। इस प्रकार उन्होंने भारत पर कब्जा जमा लिया। अंग्रेजों ने भारत में कई प्रकार के अत्याचार किए हैं। गुलामी में होने के कारण भारतवासी अच्छी जिंदगी नहीं जी पाते थे।

अंग्रेजो के खिलाफ जो भी आवाज उठा रहा था उसकी आवाज दबा दी जाती थी। सन 1919 ईस्वी में जालियांवाला बाग हत्याकांड हुआ जिसमें अंग्रेजों ने सैकड़ों भारतीयों को गोलियों से भून दिया।

अब इतने अत्याचार होने के बाद भारतीयों का खून तो जरूर खोलेगा और इस वजह से भारत के महान वीरों ने प्रण लिया कि जब तक वह देश को आजादी नहीं दिलाएंगे तब तक चैन की सांस नहीं लेंगे।

वैसे इस संघर्ष की शुरुआत तो काफी पहले से हो गई थी। सन 1857 ईसवी में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने पहली बार अंग्रेजों से लोहा लिया और बता दिया कि भारतीय में भी कितना दम है और जिस दिन को एकजुट हो गए उस दिन अंग्रेजों को यहां से भागने का भी रास्ता नहीं मिलेगा।

भारत के आजादी दिलाने में कई और महान वीरों ने भी काफी बड़ा योगदान दिया जिसमें महात्मा गांधी को हम सभी राष्ट्रपिता के रूप में पहचानते हैं। उन्होंने आजादी के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए कई आंदोलन किए हैं।

असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह आंदोलन इसके ही उदाहरण है। भले ही यह सारे अहिंसक आंदोलन थे लेकिन इन्होंने अंग्रेजों की बुनियाद हिला दी। यही वजह है कि अंग्रेज महात्मा गांधी से खौफ खाते थे।

इसके ठीक विपरीत सुभाष चंद्र बोस अहिंसा के रास्ते पर चलना ठीक नहीं समझते थे और वह मानते थे कि अगर कोई आपको ईट से मारे तो उसे पत्थर से मारो। उन्होंने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आजाद हिंद फौज की गठन की।

सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, अशफाक उल्ला खान यह भी कई बड़े नाम है जिन्होंने भारत के आजादी में अपना बलिदान दिया।

निबंध 3

15 अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली थी। अंग्रेजों ने भारत को 200 सालों तक गुलामी की जंजीरों में जकड़ कर रखा।

इस दिन को पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है और हर स्कूल कॉलेज और कार्यालयों में तिरंगे झंडे को फहराया जाता है। इसके बाद राष्ट्रगान का आयोजन भी किया जाता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां पूरे विश्व में दुनिया के सबसे बड़ी आबादी भी रहती है।

यह जो आजादी मिली है यह इतनी आसान नहीं थी बल्कि जो भी अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाते थे उससे यह लोग फांसी पर चढ़ा दिया करते थे। लेकिन हमारे वीरों ने अपनी कभी जान देने से कदम पीछे नहीं हटाए और हंसते-हंसते सूल पर चढ़ गए।

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के मन में बस एक ही बात चलती थी कि इस भारत को आजाद देखना है। हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति देनी है ताकि हमारे देश का बच्चा आजादी की सांस ले सकें।

उनके जीवन का बस एक लक्ष्य था भारत की आजादी। उनके इन्हीं सोचने हमारे देश को अत्याचारी अंग्रेजों से आजादी दिलाई। यह ब्रिटिश शासन भारत में काफी लंबे समय तक रहे। करीब 200 सालों तक इन्होंने पूरे भारत को गुलाम बनाए रखा।

उनकी सोच की वजह से दूसरे युवा भी देश की आजादी के लिए मर मिटने के लिए तैयार हुए। उन्होंने एक बार भी अपनी जिंदगी के बारे में नहीं सोचा कि वह चाहते थे कि एक बार देश के लिए मर जाए उसके बात चैन से जीते रहेंगे।

इस आजादी को दिलाने में जो सबसे बड़ा नाम पर पहला नाम आता है वह है महात्मा गांधी का। महात्मा गांधी ने भारत के खिलाफ काफी लंबी लड़ाई लड़ी लेकिन उन्होंने कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया। वह पूरे देश से आग्रह करते थे कि कभी भी हिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों का विरोध करें।

पूरे देश में भी उनका साथ दिया और कंधे से कंधा मिलाकर उनके सभी आंदोलन में भाग लिया।

सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया। उन्होंने हिंसा का मार्ग अपनाया और मानव का मानना था कि जब तक हम ईट का जवाब पत्थर से नहीं देंगे तब तक अंग्रेजों की बुनियाद नहीं हिला सकेंगे।

सरदार भगत सिंह ने युवाओं के खून में देशभक्ति की बुनियाद डाली। 23 मार्च 1931 को सुखदेव, राजगुरु के साथ में देश के आजादी के लिए खुद को कुर्बान कर दिया।

यह हमारे देश के हर कोने को गुलामी की जंजीरों से जकड़ कर रखे थे और उन पर अत्याचार भी करते थे। भारत के किसानों से कर वसूलते थे जो कर नहीं देख पाते थे उन्हें खूब मारा भी जाता था।

अन्याय का सहन एक सीमा तक किया जाता है और उसके बाद यह सीमा जिस दिन टूटती है उस दिन सारी हदें पार कर जाती है। भारतीयों ने भी इस सीमा तक अत्याचार सहे लेकिन फिर उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करना शुरू कर दिया और अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।

संक्षेप में

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्कूलों और कॉलेजों में निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जहां पर कई छात्र-छात्राएं भाग लेते हैं।

निबंध लेखन कई विषयों पर कराया जाता है जिनमें से एक विषय स्वतंत्रता दिवस पर निबंध (essay on independence day in hindi language) भी लिखना होता है। इसलिए इस पोस्ट में हमने आपके लिए अलग-अलग निबंध लिखकर तैयार किया है जो आपकी आवश्यकतानुसार आपके काम आएगी।

पहले ही आप स्कूल में विभिन्न कक्षाओं के छात्र-छात्राएं है और क्लास 4, 5, 6 में पढ़ते हैं तो भी आपको इनसे काफी मदद मिल सकती है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा प्रस्तुत किया गया लेख आपको अच्छी लगी होगी

अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।

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