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Government News: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी! सरकार ने किया ये बड़ा ऐलान

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Government News: चुनावी माहौल तेजी से बढ़ रहा है और पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। लोकसभा चुनाव के लिए विभिन्न क्षेत्रों में राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को तैयार किया है। इसके साथ ही, कर्मचारी संगठनों ने भी अपने मांगों को लेकर सामने आए हैं और उन्हें घोषणापत्र में शामिल होने का अनुरोध किया है। यह उनकी आवाज को सुनी जाए और उनकी मांगों को ध्यान में रखा जाए, ऐसा अपेक्षित है। इस समय, चुनावी घोषणापत्र और गारंटी की सूची को तैयार किया जा रहा है ताकि चुनाव प्रक्रिया समय पर संपन्न की जा सके।

पुरानी पेंशन की बहाली

एनएमओपीएस के अध्यक्ष विजय बंधु ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर उनसे पुरानी पेंशन की बहाली और निजीकरण को समाप्त करने के मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने पार्टी के चुनाव घोषणापत्र में इस मुद्दे को शामिल करने की अपील की। अब ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) ने I.N.D.I गठबंधन के सामने अपनी 27 मांगें रखी हैं। इन्हें चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने का अनुरोध किया गया है।

मांगों में पुरानी पेंशन की बहाली, केंद्र सरकार में 12 लाख रिक्तियों को भरना, आठवें वेतन आयोग का गठन, संसद द्वारा पारित चार श्रमिक विरोधी श्रम कोड को वापस लेना, और सभी योजना-आधारित श्रमिकों को श्रमिक का दर्जा और सेवाएं देना शामिल है। इसमें स्थायी सरकारी वेतनभोगी कर्मचारी भी शामिल हैं।

संगठनों में 12 लाख से अधिक रिक्तियां

  • केंद्र सरकार में 12 लाख से अधिक रिक्तियां हैं।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 5 लाख से अधिक रिक्तियां हैं।
  • भरने की आवश्यकता है।
  • गैर-गारंटी वाले एनपीएस को वापस करना है।
  • पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना है।
  • ईपीएस-95 के तहत 9,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन की गारंटी होनी चाहिए।
  • बोनस की अधिकतम सीमा बढ़ानी चाहिए।
  • न्यूनतम एक महीने के वेतन के समान।
  • ईपीएफ और ईएसआईसी में योगदान की सीमा बढ़ानी चाहिए।
  • अग्निवीर योजना को वापस लिया जाना चाहिए।
  • सशस्त्र बलों में स्थायी नियुक्ति भर्ती प्रणाली बहाल की जानी चाहिए।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सेवा मामलों में अधिकांश मुकदमों पर रोक लगाना उचित है। जब भी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय किसी विशेष मामले में कर्मचारियों के पक्ष में फैसला करते हैं, तो उसका लाभ सभी समान स्थिति वाले कर्मचारियों को मिलना चाहिए। न्यायप्रियता की दृष्टि से, ऐसे फैसले को सीमित न किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि सभी कर्मचारियों को न्याय मिले। विभागीय प्रक्रिया में स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा मिलेगा।

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