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भ्रष्टाचार की समस्या पर निबंध – Essay On Problem of Corruption in Hindi

Essay on problem of corruption in hindi

भ्रष्टाचार पूरे देश व राज्यों में अनियमित रुपेन तेजी से बढ़ती जा रही है जिससे हमारे देश की आर्थिक स्थिति निचले स्तर पर पहुंच रही है। भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट, इससे सारे नियम भ्रष्ट होते जा रहे हैं सारे कानूनी नियम को नजरअंदाज कर लोग लालची होकर भ्रष्टाचारी बनते जा रहे हैं। इस लेख में आपको भ्रष्टाचार पर निबंध मिलेंगे, जो आपके परीक्षा में काफी सहायक होंगे।

आज के इस लेख के माध्यम से आपके लिए भ्रष्टाचार एक समस्या पर निबंध (short and long essay on problem of corruption in Hindi) लेकर आए हैं जो स्कूल में पढ़ने वाले विभिन्न वर्गों के बच्चों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है।

भ्रष्टाचार की समस्या पर छोटे एवं बड़े निबंध- Long & Short Essay On Problem of Corruption in Hindi

बच्चों, तो अब आपको एक के बाद एक 250, 350, 400 और 600 शब्दों में चार अलग निबंध पढ़ने को मिलेगा।

निबंध 1-(250 शब्द)

प्रस्तावना

भ्रष्टाचार अपराध के साथ-साथ व्यवसाय भी बनता जा रहा है यह अपराध हमारे बीच किसी न किसी रूप में हो रहा है और हम जाने अनजाने में उसे होने दे रहे हैं जो हमारे लिए हानिकारक है। भ्रष्टाचार हमारे देश राज्य जिला तथा प्रखंड में अनेक रूप में फैल रहा है। जैसे राशन में मिलावट, शिक्षा में मिलावट, घुस इत्यादि।
हम छोटे से छोटे तथा बड़े से बड़े सरकारी हो या प्राइवेट सभी कामों के लिए घूस देते हैं, जो बहुत बड़ा अपराध है।

परिभाषा

भ्रष्टाचार का अर्थ बुरा व्यवहार अर्थात किसी काम को करने के लिए गलत तरीके का इस्तेमाल करना भ्रष्टाचार कहलाता है। लोग भ्रष्टाचार को व्यवसाय बनाते जा रहे तथा काम के लिए घूस लेना इनका पैसा बन गया है। लोगों को कोई भी काम करवाना होता हैं, उन्हें पूरा करने के लिए किसी ना किसी रूप में वह इस अपराध का हिस्सा बन जाते हैं। यहां तक कि सरकारी कर्मचारी के साथ-साथ जमींदार, शिक्षक आदि लोग भी इसे व्यवसाय बना लिए हैं।

निष्कर्ष

“भ्रष्टाचार”यह शब्द हर क्षेत्र में अनेक प्रकार के कामों में देखने को मिलता है यहां तक की हमारे देश का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा है जहां भ्रष्टाचार नहीं है। बिना भ्रष्टाचार कोई काम नहीं होता हर काम को करने के लिए लोग घुस मांगते हैं जिसे देने के दौरान ही काम पूरे किए जाते हैं। जैसे, ठेकेदार सरकारी ठेके के नाम पर ठगते है, सरकारी कर्मचारी हर काम को करने के लिए घूस लेता है, शिक्षक शिक्षा बेचने पर उतारू रहते हैं।

निबंध 2(350 शब्द)

प्रस्तावना

भ्रष्टाचार हमारे इर्द-गिर्द लगभग सभी कामों में अनेक प्रकार से फैला है जैसे घूस, चुनाव में धांधली, हफ्ता वसूली, कालाबाजारी करना, व्यापारिक नेटवर्क तथा सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग इत्यादि। भ्रष्टाचारी से भी ज्यादा अपराधी वह है जो इसमें भागीदारी लेता है। हम चाहे तो इसे नियंत्रण में ला सकते हैं लेकिन, बिना सोचे समझे सारी जनता अपने काम को आसान बनाने के लिए भ्रष्टाचार का उपयोग करते जा रहे हैं।

भ्रष्टाचार की शुरुआत

इस एक शब्द के सबसे आपराधिक कार्य की शुरुआत ब्रिटिश के समय से हो चुकी थी। पर आज भी इसका असर पूरे देश में कायम है। भ्रष्टाचार का राजनीति से गहरा संबंध है जब से राजनीतिक सत्ता की शुरुआत हुई है। तब से भ्रष्टाचार बड़े पैमाने में राजनीति में फैलता जा रहा है। बड़े-बड़े नेता भी जनता को झूठे वादे करके तथा जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाकर उन्हें लूटने के साथ-साथ बेवकूफ बनाते हैं।

भ्रष्टाचार के नियंत्रण का उपाय

हम अगर आंतरिक दिल से चाहे तो अपनी पक्के इरादों से इस अपराध को दूर कर सकते हैं।इसे नियंत्रण में लाना बहुत ही आवश्यक है। भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने का विभिन्न प्रकार –

• देश लोकपाल कानून लागू करने के लिए आवश्यक है।
• देश में संक्षिप्त और कारगर कानून हो।
• देश के न्यायालय में मामला तुरंत निपटारा हो।
• देश के प्रशासनिक काम को उपयोगी बनाने के लिए आवश्यक है, लोकपाल स्वतंत्र रूप से कार्य करता रहे।
• कानून और सरकार से लोगों की मानसिकता बदलने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

हमें मिलकर इसे खत्म करने का कदम उठाना चाहिए, ताकि हमारा देश भ्रष्टाचार से मुक्त होकर एक स्वच्छ स्वतंत्र देश बन सके। हम सबको हर वह कदम उठाना चाहिए, जिससे हमारा देश भ्रष्टाचार से परे रहे। हमारी आने वाली पीढ़ी इस बेईमानी से बचें लगाने से बचें तथा जनता के झूठे वादे से बचें। भविष्य की जनता स्वतंत्रता पूर्वक ने किसे अपना जीवन यापन करें, इसलिए हमें भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहिए।

भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह है, जो देश को गरीब तथा लाचार बनाता जा रहा है। यह अपराध हमारे देश के लिए बहुत बड़ी समस्या का कारण बन चुका है, जिससे हमारा देश विकास नहीं कर पा रहा। भ्रष्टाचार से हमारे देश के आर्थिक स्थिति निचले स्तर तक जा पहुंची है।

निबंध – 3 (400 शब्द)

प्रस्तावना

भ्रष्टाचार सभी जनता के दिमाग में कुछ इस प्रकार स्थित हो गया है, जैसे मानो यह कोई अपराधी नहीं है। वे इसे एक आसान तरीका बना लिए हैं, अपने कामों को तुरंत करने के लिए । लोग किसी न किसी रूप से इस अपराध को अपने जीवन में हर रोज जाने अनजाने में करते आ रहे हैं, जिससे हमारा देश पिछड़ता जा रहा है।

भ्रष्टाचार के लिए हम ज्यादातर देश के राजनेताओं को जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन सच तो यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूपों में भागीदार है। अभी वर्तमान में देश का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो भ्रष्टाचार से मुक्त है। हर राज्य , जिला, प्रखंड तथा अनुमंडल में भ्रष्टाचार से लोग कई तरह से ठगे जाते हैं। ज्यादातर सरकारी लोग घुस के बिना तो कोई काम करने के लिए तैयार ही नहीं होते। सरकारी कर्मचारी होते हुए भी बिना कार्य किए भ्रष्टाचार के दौरान गरीबों को लूटते हैं।

भ्रष्टाचार का अर्थ

भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट + आचार= भ्रष्टाचार, अर्थात भ्रष्ट मतलब बेईमानी एवं आचार मतलब आचरण। अनुचित तथा अनैतिक आचरण को भ्रष्टाचार कहते हैं।

भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है, जिसके चपेट में सभी कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में एक बार आ ही जाते हैं। भ्रष्टाचार आज एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है, सभी छोटे-छोटे कामों के लिए भी आज घुस ली जाती है। आजकल के काम का मुहावरा ” घुस दो पूर्ण काम लो”।

भ्रष्टाचार एक अपराध है, परंतु हमारे इर्द गिर्द यह अपराध बार-बार किसी न किसी रूप में होता रहता है। मगर हम जाने अनजाने में इसे नजरअंदाज कर अपराध में ना चाहते हुए भागीदारी ले लेते हैं। हालांकि हमें पता होता है, लेकिन हम चुपचाप रह कर अपराध का हिस्सा बन जाते हैं। यह सच है कि अपराध करने वालों से बड़ा अपराधी अपराध को सहने वाला होता है। आज हमें यह समझ कर इससे बचना चाहिए।

भ्रष्टाचार के कारण

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाती है। अपराधी को दंड का भय नहीं होता।
  • व्यक्ति का लोभी स्वभाव- लालच और संतुष्टि एक ऐसा कारण है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है । व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बनाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
  • आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वाहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
  • मनसा – व्यक्ति अगर दृढ़ संकल्प कर ले तो कोई भी कार्य को पाना मुश्किल नहीं होता, वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की इच्छा भी है।

निष्कर्ष

भ्रष्टाचार हमारे देश में लगा वह दिमाग है, जो देश को आंतरिक रूप से खोखला करता जा रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है, जो यह दिखाता है कि व्यक्ति लोभ , संतुष्टि, आदत और इच्छा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।

निबंध – 4 ( 600 शब्द)

प्रस्तावना

भ्रष्टाचार व्यक्ति का ऐसा आचरण है, जिसका प्रदर्शन करते हुए भ्रष्टाचारी संविधान के सभी नियमों को नजरअंदाज कर अपने हित के लिए गलत तरह से धन अर्जित करते हैं। इसे ही भ्रष्टाचार कहा जाता है। इतना ही नहीं हम सब अपने परिवेश में ही भ्रष्टाचार सीखते है, जैसे बच्चों को अच्छे अंक लाने पर इनाम देने की बात कहीं जाती है, तो वहीं खराब प्रदर्शन होने पर सज़ा दी जाती है। यहाँ से ही भ्रष्टाचार की नीवं एक कोमल मन में बो दिया जाता है।

भ्रष्टाचार का इतिहास

भ्रष्टाचार वर्तमान में उत्पन्न होने वाली समस्या नहीं बल्कि यह कई दशकों से विश्व में अपनी जगह बनाई है। ब्रिटेन द्वारा विश्व के 90 % देशों को अपने अधीन कर लेना, इस बात का सबूत है कि व्यक्ति अपने हित के लिए देश की मिट्टी का सौदा कर दिया करते थे। राजा अपना राज्य बचाने के लिए सही गलत में फर्क करना भूल जाते थे। भ्रष्टाचार को प्रारंभ के रूप में देखा जा सकता है।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार

आपने भ्रष्टाचार को खुद कई रूपों में देखा होगा, कहीं किसी दफ़्तर की कुर्सी के नीचे तो कहीं अनजाने जगह पर सूटकेस में बंद। निम्नलिखित प्रकार से भ्रष्टाचार को और अच्छे से समझा जा सकता है।

  • चुनाव में धांधली – देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरे आम लोगों को पैसे ,जमीन, अनेकों उपहार तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। यह चुनावी धांधली असल में भ्रष्टाचार है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने और प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है, पर कुछ व्यक्ति सरकार को अपनी आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आते हैं।
  • शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी – शिक्षा तथा खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग मेधावी योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते, बल्कि जो उन्हें घूस दे उन्हें दे देते हैं।
  • भाई भतीजावाद – अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। वह अपने किसी परिवार के सदस्य को उस पद का कार्यभार दे देते हैं। जिसके लायक वह नहीं होते। ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उससे छीन लिया जाता है।
  • इस प्रकार समाज के छोटे बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है जैसे – राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक फीस आदि।

भ्रष्टाचार के परिणाम

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होते जा रहे हैं, देश में रोजगारी ,घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। या भ्रष्टाचार के फल स्वरुप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण वस परिणाम यह है कि विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदम

सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई अहम और ठोस कदम उठाए है। सरकार के इस पहल से अब धीरे-धीरे हमारा देश इस भ्रष्टाचार नाम के सांप से छुटकारा पा रहा है।

  • डिजिटलीकरण – सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है। इससे घूसखोरी की मात्रा में कमी आई है, और सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में जाती है।
  • नौकरी से निष्कासित – भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया। इसमें आयकर विभाग पुलिस विभाग तथा अन्य सम्मानित पदाधिकारी सम्मिलित थे।
  • चुनाव में सुधार – समय बीतने के साथ चुनाव व्यवस्था में पहले की अपेक्षा सुधार किया गया है।
  • गैर कानूनी संस्थानों तथा दुकानों पर ताला – हजारों अवैध संस्थान, एनजीओ तथा दुकानों को बंद कराया गया है।

निष्कर्ष

विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत क्षति पहुंचती है। हम सभी को समाज का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह प्रण लेना चाहिए की ना भ्रष्टाचार करे ना करने दें। हमें सरकार के द्वारा हर एक नियम जो भ्रष्टाचार के विरुद्ध बनाई गई है उसका पालन करना चाहिए। ताकि इस भ्रष्टाचार अपराध से हमारा देश और हम बच सके।

अंतिम शब्द

भ्रष्टाचार एक ऐसा ज़हर है, जो एक देश को पूरी तरह से बर्बाद कर सकता है। बच्चों आपकी मदद हेतु हमने आज चार तरह के भ्रष्टाचार पर निबंध लिखा है, इन्हें 250 शब्दों से लेकर 600 शब्दों में हमने बांटा है।

अब आपसे विदा लेने का समय हो गया है, आपको हमारा आज का लेख, भ्रष्टाचार की समस्या पर छोटे एवं बड़े निबंध (Long & Short Essay On Problem of Corruption in Hindi) कैसा लगा, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। आप चाहे तो इन निबंधों को अपने मित्रों से भी साझा कर सकते है। हमारे न्यूज़लेटर को अभी ही सब्सक्राइब कर ले ताकि हर प्रकार के निबंध आपके लिए उपलब्ध हो।

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